Intellectual property rights in hindi
आई पी आर यानी इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राईट यानी बौद्धिक सम्पदा अधिकार मानव मस्तिष्क के विचारों से उत्पन्न एक उपज हैं। दुनिया के देश, कई सदियों से अपने-अपने अलग कानून बना कर इस मानव मस्तिष्क से उत्पन्न उपज को सुरक्षित करते चले आ रहें हैं। सन १९९५ में विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) बना। Agreement on the Trade related aspect of intellectual property rights (TRIPS) या ट्रिप्स, इस संगठन का एक समझौता है। सारे देश जो विश्व व्यापार संगठन के सदस्य हैं, उन्हे इसे मानना है तथा अपने कानून इसी के मुताबिक बनाने हैं।
भारतवर्ष मे निम्न आठ अधिनियम के अन्दर बौद्धिक सम्पदा अधिकार सुरक्षित किये गये हैं
The Biological Diversity Act, 2002
The Copyright Act, 1957 (कॉपीराइट)
The Design Act, 2000.
The Geographical Indications of Goods (Registration and Protection) Act, 1999.
The Patents Act, 1970.
The Protection of Plant Varieties and Farmers’ Rights Act, 2001.
The semiconductor Integrated circuits Layout design Act, 2000.
The Trade Marks Act, 1999.
इनके अलावा दो और क्षेत्र निम्न क्षेत्र हैं जिनके अन्दर बौद्धिक सम्पदा अधिकारों को सुरक्षित किया जाता है, वह हैं
ट्रेड सीक्रेट
सविंदा कानून (Contract Act)
ट्रेडमार्क क्या है?
मूल रूप से ट्रेडमार्क वो “ब्रांड” या “लोगो(logo)” है जिसका उपयोग आप अपने उत्पाद को अपने प्रतिस्पर्धियों(competitors) से अलग पहचान करने के लिए किया जाता है।
ट्रेडमार्क का आप पंजीकरण भी करवा सकते हैं जिसके माध्यम से आप अन्य लोगों को अपने पंजीकृत ट्रेडमार्क के उपयोग न करने के लिए प्रतिबंधित कर अपने ब्रांड या लोगो को सुरक्षित कर सकते हैं
पटेंट एक्सव अधिकार है जो कि नए अविष्कार के लिए राज्य प्रदान करता है।
अविष्कार की प्रथम पूर्ण एवम सही घोषणा करने के एवज में राज्य निश्चित अवधि के लिए पेटेंट देते हैं।
राज्य(सरकार) को नए अविष्कार की जानकारी मिल जाती है व पेटेंट धारक को निश्चित अवधि के लिए एक्सव अधिकार |
नया अविष्कार चाहे वो कोई उत्पाद हो या वो कोई नई परिक्रिया हो उसका पटेंट हो सकता है । हर देश मे पेटेंट कराने के मापदण्ड अलग अलग है। जैसे भारत मे सॉफ्टवेयर को पेटेंट नही करसकते।
किसी आविष्कार को पेटेंटयोग्य सामग्री होने के लिए निम्नलिखित मानदंड पूरे करने चाहिए
i) यह नवीन होना चाहिए
ii) इसमें आविष्कारी चरण होना चाहिए अथवा यह नॉन-ओबियस होना चाहिए।
iii) उसमें इतनी क्षमता होनी चाहिए कि उसका औद्योगिक अनुप्रयोग हो सके।
iv) यह पेटेंट अधिनियम, 1970 की धारा 3 और 4 के प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आना चाहिए।
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क्या कंप्यूटर प्रोग्राम को पेटेंट किया जा सकता है?
ट्रेडमार्क