घुन, पाई, व चूहे पर धुंए का प्रयोग

अविष्कारक गार्बेज लिफ्टर  (सन 2009) 

स्वगीय अरुण कुमार कम्बोज 

ग्राम चकरपुर पोस्ट – बाजपुर 

जिला – उधम सिंह नगर 

उत्तराखंड 

घुन, पाई, व चूहे पर धुंए का प्रयोग

मेरे द्वारा प्रयोग की गई सामग्री

  1. एक गोल ड्रम ढाई फुट ऊँचा व डेढ़ फुट चौड़ा| 
  2. एक परात 
  3. धान जिसमे पई थी| 
  4. चावल जिसमे घुन थे|
  5. गेहू जिसमे घुन थी|   
  6. एक चूहा और उसके लिए बनाया गया जाली का पिंजरा| 
  7. सूती कपडा जिसमे कीटो सहित अपने उत्पादों और चूहों को बांध कर रखा गया व ड्रम में लटकाया गया| 
  8. जलाने के लिए भूसा व नीम की हरी पत्तियां|
  9. ड्रम को एयर टाइट करने के लिए पॉलिथीन व सुतली| 

मेरे द्वारा प्रयोग की गयी विधि 

मेरे द्वारा अपने  उत्पादों को कीटो सहित कपडे की अलग-अलग पोटलियों में बाधा लिया तथा चूहे को लोहे की जाली में बंद कर लिया व एक बड़े कपडे में सभी पोटलियों व चूहे को बांध लिया| परात में भूसा डालकर आग जलाई, जलती हुई आग पर नीम की पत्तियां डाली जब सफ़ेद धुआँ उठने लगा तब परात ड्रम के अंदर लकड़ी के छोटे तख्ते पर रख दी कीटो और चूहे की पोटली ड्रम में लटकाकर ड्रम का ढक्कन बंद कर दिया  पॉलिथीन व सुतली से ड्रम का ढक्कन एयर टाइट कर दिया

मैंने 10 घंटे बाद ड्रम का ढक्कन खोला तो चावल का घुन धान की पई व चूहे चुके थे| लेकिन गेहू का घुन केवल 25 प्रतिशत ही मर पाया था| दोवारा यही प्रयोग केवल घुन पर किया गया| लेकिन इस बार ड्रम का ढक्कन 48 घंटे के उपरांत खोला इस बार गेहू का घुन मर चूका था मेरा प्रयोग 100 प्रतिशत सफल हो गया|

कीटो की और चूहों की मौत ऑक्सीजन न मिलने और जड़ी बूटियों से निकले धुएं से दम घुटने के कारण हुई| परात के अंदर भूसा थोड़ा-सा ही जल पाया गया क्योकि ऑक्सीजन न मिलने से भूसे की आग बुझ गयी थी| उत्साहित होकर उसी समय इस तकनीक को मैंने अपने सहयोगियों को बताया और इस पर चर्चा हुई तथा इस विषय पर निर्णय लिया गया की किसी छोटे गोदामो में हवन पात्र को लगाया जाये|