जैविक उत्पाद के भंडारण हेतु तकनीक 

जैविक उत्पाद के भंडारण हेतु तकनीक 

अविष्कारक गार्बेज लिफ्टर  (सन 2009) 

स्वगीय अरुण कुमार कम्बोज 

ग्राम चकरपुर पोस्ट – बाजपुर 

जिला – उधम सिंह नगर 

उत्तराखंड 

हमारे देश में जैविक उत्पादों का उपयोग करने वाले एवं पैदा करने वाले किसानो की खेती का क्षेत्रफल प्रतिवर्ष बढ़ता जा रहा है, लेकिन इन जैविक उत्पादों के भण्डारण हेतु रासायनिक उत्पादों के भंडारण जैसी कोई तकनीक नहीं थी| जैविक उत्पादों  के भण्डारण के लिए परंपरागत तरीके ही अपनाये जा रहे थे| 

मैंने  अपने उत्पादों को  चूहे, घुन आदि से सुरक्षित भण्डारण  के लिए अपने देश में प्रयोग किये जाने वाली तक             

नीकों के आंकड़ेइक्क्ठे किये| जिसमे एक तरीका यह भी है की आदिवासी, बुक्सा एवं थारू अपने बीजो को बचाने के लिए अपने चूल्हे के ऊपर छप्पर में कपडे से बांधकर (बीजो ) को लटकाते है| धुएं के  कारण घुन आदि पनप नहीं पाते इसी पर मैने शोध किया और एक ऐसे पात्र का आविष्कार किया जो की भंडारित गोदाम में इस प्रकार से फिट किया जाता 

है कि गोदाम के अंदर की ऑक्सीजन को कार्बन डाई ऑक्साइड में बदल दे| इस पात्र में युकेलिप्टिक्स का बेस्ट पत्तिया और पतली टहनिया होती है, को जलाया जाता है| इसमें किसी भी वैस्ट को जलाया जा सकता है, जिसका की धुआँ जहरीला हो जिससे उत्पाद का स्वाद व उत्पाद प्रदूषित न हो| इस पात्र का नाम “जैविक उत्पाद भण्डारण हवन पात्र” रखा है| 

 

मैं एक जैविक किसान हूँ और हमेशा इसी प्रयास में रहता हूँ कि किसानो की खेती में लगाई गयी लगात में कमी आये, व उनकी फसले गुणवत्ता युक्त प्रदुषण रहित हो, जिससे उनकी फसलों का मूल्य बाजार मूल्य से अधिक मिले और किसानो के जीवन स्तर में सुधार आए| 

इसी क्रम में हमारे जिले के किसानो का संस्थानों द्वारा सन 2008 -2009 में आई0 टी0 सी0 लि0, आई0 बी0 डी0 से अनुबंध लिखित रूप में किया गया| अनुबंध के अनुसार आई0 टी0 सी0 लि0,को तीन वर्ष तक गेहू बाजार मूल्य से 30 प्रतिशत से अतिरिक्त मूल्य देकर खरीदना था| सन 2008-09 में आई0 टी0 सी0 लि0 ने 1300/- से 1324/- रु0 प्रति कुंतल की दर से गेहूं की खरीददारी की | खरीददारी के समय कंपनी गेहूं को साथ-साथ गोदामों में भण्डारण कर रही थी|  गेहू की सुरक्षा के लिए किसी भी जैविक आधुनिक या परंपरागत विधि का प्रयोग नहीं किया जा रहा था| 

जबकि खरीदारी के समय ही मैंने किसानो के गेहुओ में घुन देखा था।

जैसे मुझे आशा थी वैसा ही हुआ, हमारा अनुबंध आई0 टी0 सी0 लि0 से तीन वर्ष का था जोकि उन्होंने एक वर्ष गेहू खरीदकर ही तोड़ दिया था। क्योजी भंडारण के बाद हमारे पास ऐसी 

तकनीक नही थी जोकि कंपनी के गेहू को कीड़ो व चूहों से सुरक्षित रख पाती। गेहू के साथ ओषधियां पत्तिया मिलाकर रखने वाली तकनीक तो है लेकिन सल्फास की तरह प्रभावशाली हमारे पास कोई जैविक विधि नहीं है जिससे भण्डारण के उपरांत गेहू को बचाया जाता| आई0 टी0 सी0 लि0 और हम किसानो का दोवारा गेहू नहीं खरीदने से दोनों की हानि हुई इसी क्रम में मैंने भण्डारण के अलग अलग स्थानों की पुरानी व नवीन तकनीकों व आयुर्वेद की पुस्तकों से आंकड़े एकत्रित किये| अलग अलग  स्थानों से भण्डारण के बारे में बात की